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दिल व फेफड़े के मरीजों को इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए :विशेषज्ञ


मोहाली, 01 अगस्त : कोविड-19 महामारी के दौरान हृदय और फेफड़ों की सर्जरी के लिए आने वाले रोगियों के स्पेक्ट्रम में भारी बदलाव देखा गया है। रोगी अपने प्रारंभिक निदान में देरी कर रहे हैं और इलेक्टिव प्रोसीजर को स्थगित कर रहे हैं, जिसके कारण अस्पतालों में विषम समय में गंभीर जटिलताओं और मामले के बिगड़ने वाले रोगियों की अचानक वृद्धि हो रही है। 

मैक्स अस्पताल, मोहाली में कार्डियोवास्कुलर थोरेसिक सर्जरी के डायरेक्टर, डॉ दीपक पुरी ने रविवार को यह बताते हुए कहा कि कोविड -19 महामारी का स्वास्थ्य सेवा में विश्व स्तर पर  विनाशकारी प्रभाव पड़ा है और इससे भी बुरा प्रभाव उन लोगों पर पड़ा है जिन्हें हृदय और अन्य जीवन शैली की बीमारियां जैसे मधुमेह, कैंसर और तनाव है।


उन्होंने कहा, ऐसे मरीज जिन्हें दिल या फेफड़ों की सर्जरी की जरूरत थी , लेकिन उनमें कोविड-19 का पता चला। कोविड-19 के इलाज के दौरान उनके दिल या फेफड़ों की जटिलताएं काफी खराब हो गईं। ऐसे मरीज जब तक वास्तव में सर्जरी के लिए आते हैं तब तक उनकी बीमारी बढ़ जाती है और ऑपरेशन का जोखिम भी काफी बढ़ जाता है। 

डॉ पुरी ने जोर देकर कहा कि उन रोगियों की भी एक श्रेणी है जिन्हें हृदय या फेफड़ों की बीमारी है लेकिन लॉकडाउन के कारण इलाज में देरी हुई है। तब वे वस्तुत: गंभीर जटिलताओं के साथ इलाज के लिए आते हैं जहां उन्हें बड़े जोखिम वाले सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

डॉ पुरी बतातें है , हालांकि कोविड ने दुनिया भर में स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए कल्पना से परे चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों को इन चुनौतियों का सामना करना सीखना चाहिए और संकट से निपटने के लिए अपने कामकाज को तेजी से विकसित करना चाहिए।

डॉ पुरी ने कहा कि अगर मरीज समय पर अस्पतालों में पहुंचते हैं तो अधिकांश जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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